खेल में फ़साना है – Khel Mein Fasana Hai
कमजोर बना देते है सहारे अक्सर इंसान को
और कमजोरों को ये दुनिये जीने नहीं देती है
ज़ो उखाड़ना है तुम्हे उखाड़ना है
बाद मे तो ये दुनिया तालियाँ अपने आप बजा देती है
तुमसे जलने वाले भी मुबारक तुमको देकर जायेगे
अभी तो देखना ये सारे रावण भी राम का मुकुट पहनकर आएँगे।
ढोंग करेंगे सब बस तुम्हारे सामने जश्न मनाएंगे
अंदर से रोयेंगे सब पर देखना कैसे हँसकर बोल जायेंगे।
विश्वास फिर करने का मन करेगा देखना कैसा खेल दिखा जायेंगे।
पर चक्रव्यू में ना अब अभिमन्यु की तरह फ़सना है
इन खिलाड़ियों को अब इनके खेल में फ़साना है
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