स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया एकीकृत निक्षय दिवस, 492 मरीजों की हुई जांच

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  • छिपाने की नहीं, टीबी के इलाज की जरूरतः डॉ. लोकेश

जनवाणी संवाददाता |

मुजफ्फरनगर: देश को साल 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर बुधवार को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। इस दिवस का उद्देश्य टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्ण इलाज और योजनाओं का लाभ दिलाना है। इस दौरान उपकेंद्रों पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) ने ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या के 10 प्रतिशत की टीबी की जांच की।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. लोकेश चंद गुप्ता बताया कि एकीकृत निक्षय दिवस पर ओपीड़ी में आने वाले लोगों में 10 प्रतिशत मरीजों का बलगम टेस्ट किया गया। सीएचओ और आशा कार्यकर्ताओं ने एकीकृत निक्षय दिवस पर मिलने वाली सुविधाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी। उन्होंने बताया टेस्ट के बाद टीबी की पुष्टि होने पर परिवार के सभी सदस्यों की स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ ही इस दिवस पर प्राइवेट प्रैक्टिशनर से टीबी नोटिफिकेशन, कांटेक्ट ट्रेसिंग और फालोअप के लिए भी बातचीत की गई।

उन्होंने बताया कि टीबी का मरीज एक साल में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है। ऐसे में समय रहते टीबी का इलाज होना बेहद जरूरी है। यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। इसलिए, इसे छिपाने की नहीं, बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है। टीबी के मरीजों को अपना उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। इससे बीमारी और बिग़ड़ जाती है।

क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक सहबान उल हक ने बताया- ओपीडी में 4534 मरीज आए, जिसमें 492 संभावित मरीजों के सैंपल लिए गए। उन्होंने बताया – यह सभी 492 संभावित मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए है, पॉजिटिव आने पर मरीजों पर इलाज शुरू किया जाएगा। जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर प्रवीन कुमार ने बताया कि संभावित क्षय रोगियों की पहचान के लिए प्रमुख लक्षण दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी होना, दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार आना, वजन में कमी आना भूख न लगना, बलगम से खून आना हैं।

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