foreign lawyers impacting india, विदेशी लॉयर को भारत में प्रैक्टिस की मिली इजाजत, भारतीय वकीलों पर इसका क्या होगा असर? – india allows foreign lawyers what impact on indian judiciary
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने एनबीटी को बताया है कि यह इजाजत आदान प्रदान के बेसिस पर होगा यानी भारतीय वकील को अगर विदेश में इंटरनेशनल लॉ और विदेशी लॉ के मामले में जितनी इजाजत होगी उतनी ही इजाजत विदेशी वकील को यहां होगी। हालांकि विदेशी वकीलों का बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होगा लेकिन वह भारतीय कोर्ट में पेश नहीं होंगे। भारत में चलने वाले कानूनी विवाद के मामले में उन्हें प्रैक्टिस की इजाजत नहीं होगी। उनको एक सीमित क्षेत्र में रेग्युलेटेड तरीके से इजाजत दी जा रही है।
इसके लिए तीन एरिया होगा जो खोला गया है जिनमें विदेशी कानून, आर्बिट्रेशन और इंटरनेशनल लॉ के मुद्दे शामिल हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स फॉर रजिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन ऑफ फॉरेन लॉयर्स एंड फॉरेन लॉ फर्म इन इंडिया 2022 के तहत नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इसके तहत लीगल सलाह की इजाजत होगी। इस नियम से भारत को इंटरनेशनल कमर्शल आर्बिट्रेशन हब बनाने में मदद मिलेगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा बताते हैं कि भारतीय कानून के तहत जो लीगल प्रैक्टिस है उसमें विदेशी वकील और लॉ फर्म को कोर्ट में पेश होने की कोई इजाजत नहीं होगी। सिर्फ इंटरनैशनल लॉ व विदेशी लॉ के मामले में उन्हें सलाह (प्रैक्टिस) की इजाजत दी गई है। इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के मामले में वह भाग ले सकेंगे।
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन केके मनन का कहना है कि बदलते दौर में यह इजाजत दी गई है और यंग जेनरेशन के वकीलों को इसका फायदा हो सकेगा। लेकिन इस मामले में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के वाइस चेयरमैन संजीव नसिय्यार और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के मेंबर राजीव खोसला का कहना है कि यह एक तरह से बैक डोर एंट्री की तरह लग रही है। विदेशी वकीलों और विदशी लॉ फर्म के खिलाफ 1999 और 2000 में भारी विरोध हो चुका है।
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खोसला ने बताया कि हम बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इस बारे में बात करेंगे कि ऐसे लीगल फर्म में काम करने वाले किसी भी वकील को भारतीय कोर्ट में पेश होने की इजाजत न हो चाहे वह वकील भारतीय ही क्यों न हो। अगर ऐसा नहीं किया जाता है और भारतीय कोर्ट में प्रैक्टिस और पेशी के लिए बैकडोर एंट्री दी गई तो इस पर ऐतराज होगा। नसिय्यार ने बताया कि अगर बैकडोर एंट्री विदेशी फर्म को दी गई और किसी तरह से उन्हें कोर्ट में पेश होने की इजाजत दी गई तो इससे भारतीय वकीलों के रोजगार पर असर होगा और तब इसके विरोध में स्वर उठेंगे।